मुहब्बत होने दो
मुहब्बत होने दो
शाम का अक्स आंखों में उतरने दो
क्यों कैद है जुल्फ बिखरे तो बिखरने दो
शरीफों की महफ़िल में वो मज़ा नहीं
अभी भोला है दिल बिगड़े तो बिगड़ने दो
परेशान हूँ बिगड़ी हुई क़िस्मत से
साथ दे कर अपना तक़दीर संवरने दो
आओ कभी दिल में रूह को घर करलो
मुझे आंखों से दिल में उतरने दो
उजालों को तरसता हूँ हर तरफ अंधेरे हैं
रौशन कर दो ज़िन्दगी अंधेरों से बिछड़ने दो

