एक शख्स
एक शख्स
और मुझ में भी मिल जाएगा बांटा हुआ शख्स
पुराने कहीं नए तरीके से काटा हुआ सा शख्स
आज मजबूरी ने झुका डाला तो चुप है
कभी अपनी किस्मत पर इतराता हुआ सा शख्स
बेज़रर लगता था अंदाज ए सुफी जिसका
अपनी तरफ दुनिया को लुभाता हुआ सा शख्स
उसकी खुबी बताएं या बुराई का ज़िक्र करें
ग़ैरों के लिए अपनों को सताता हुआ सा शख्स
पल भर में वह बदलता है मौसम की तरह
कभी महकता कभी बरसता हुआ सा शख्स
मेरे पास है दुनिया वालो तुम फिक्र न करो
उम्मीद के रौशन दियों को बुझाता हुआ सा शख्स।