STORYMIRROR

Syeda Noorjahan

Abstract Drama Classics

4  

Syeda Noorjahan

Abstract Drama Classics

एक शख्स

एक शख्स

1 min
223

और मुझ में भी मिल जाएगा बांटा हुआ शख्स

पुराने कहीं नए तरीके से काटा हुआ सा शख्स


आज मजबूरी ने झुका डाला तो चुप है

कभी अपनी किस्मत पर इतराता हुआ सा शख्स


बेज़रर लगता था अंदाज ए सुफी जिसका

अपनी तरफ दुनिया को लुभाता हुआ सा शख्स


उसकी खुबी बताएं या बुराई का ज़िक्र करें

ग़ैरों के लिए अपनों को सताता हुआ सा शख्स


पल भर में वह बदलता है मौसम की तरह 

कभी महकता कभी बरसता हुआ सा शख्स


मेरे पास है दुनिया वालो तुम फिक्र न करो

उम्मीद के रौशन दियों को बुझाता हुआ सा शख्स।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract