Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!
Unlock solutions to your love life challenges, from choosing the right partner to navigating deception and loneliness, with the book "Lust Love & Liberation ". Click here to get your copy!

shruti chowdhary

Abstract

4  

shruti chowdhary

Abstract

आँखें

आँखें

1 min
312


हर सुबह ये खुलती आँखें 

निरंतर करती कुछ काम

सूर्य देव को अर्पित करती 

जल छलकाती लिए 

आँखों में तेज भरा विश्वास 

हर शाम ये आँखें देखती इसे बंद 

कुछ काम्याबी के कुछ गए बेकार 

कमाया है रात का आराम

सपना आया आधी रात 

छवि पलट गयी जिंदगी 

तुमसे हर एक मुलाकात 

हकीकत में चुपके से झांकती 

बदल गया एहसास 

थक गयी ये आँखें 

कल तक चमकता जोश था 

आज धुंदली उदास दिखती वो 

नए ज़माने के निराले रंग

क्या झेल पायेगी ये कमजोर आँखें 

आँखों में दुखों का सैलाब चकराता 

गम की चुभन से खुजलाता रहता 

आँखों का काजल मिट गया 

तुमने तो जैसे मुँह मोड़ लिया 

आँखें खोयी खोयी सी रहती है 

जागते हुए भी सोई सी रहती है 

इनमे झलकता दर्द और आंसू 

मुसकुराना तो जैसे भूल हि गयी 

सोचते सोचते चैन से बंद हो गयी आँखें 

नए सुबह के इंतज़ार में 

एक लम्बा सफर तय करके 

सूर्य की लालिमा को नमन करते हुए 

अब तसव्वुर ही कुछ और है 

पलक झपकाती ये आँखें नमकीन 

जिंदगी हो गयी और भी हसीन 

मत देखो इन्हे बोझ की नज़र से

जी लो आज के पलों को 

मुसकुराती हुई नज़र से! 



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract