तुम बहुत याद आये
तुम बहुत याद आये
हुए कुछ हादसे ऐसे
को सब हँसकर बिखर गया
समझ ही न सके ये कैसा तूफ़ान
आकर झटके से गुजर गया
कैसे शांत करूँ मैं तुम ही बताओ
ऐ भाई, क्यों न याद करूँ मैं तुमको !!!
कुछ तुम खुद भी समझ नहीं आये
जाने अपने अंदर कितने
गम छिपाये चले गए
ये आंसू अब थमते नहीं
ऐ भाई , क्यों मौत से मिल आये तुम !!!
ऐ खुदा कौन सा हिसाब करता है तू
छीनकर अपनों को अपनों से तुम
वो बचपन की यादें जो मन भर लाती है
दिल की गहराई से न निकल पाती है
ऐ , भाई उन प्यार भरे लम्हों को
कैसे आजाद करूँ मैं !!!
कितने नादान होते माँ बाप
कितने ही बड़े हो जाये लेकिन
पलकों पर वे अपने बिठाते है
हर बड़ाई और हर सफलता
उनकी दुआ की कहानी बताती है
ऐ खुदा, ये जख्म कैसे भरूं मैं
ऐ , भाई, कैसे सच को अपनाकर
जीवन आसान करूँ मैं !!!
अनमोल पवित्र रिश्ते का बाँध टूटा
कोई छल है या कोई धोखा
अनगिनत सवालों के तीर चुभाये
तेरी लीला पर हम क्युँ न लड़े
भाग्य ने रचा ये कैसा खेल
ऐ खुदा इस दर्द के पहाड़ को पार कैसे करूँ मैं
ऐ , भाई , इस उलझन को कैसे शांत करूँ मैं
क्यूँ न तुझे याद करूँ मैं !!!
Om shanti