टूटी दोस्ती
टूटी दोस्ती
भीड़ में हूं अब अकेला,
खुशी में भी उदास,
यूँ ही नहीं निभाई थी दोस्ती
जो तूने तोड़ दी आज।
अरे! मैंने कहां कहा था
कदम कदम पर चलना साथ
बस इतना ही तो बोला था
कि जब गिरने लगूँ दे देना अपना हाथ,
कुछ ज्यादा ही मांग लिया होगा शायद
जो तेरी परछाई भी नहीं है अब साथ।
दोस्ती से जो मिले गिला
फिर कैसे जी पाओगे ।
जा रहा हूंगा जब दुनिया से
क्या तब भी मिलने ना आ पाओगे ।
टूटी जो दोस्ती , तो माफी तो मिल जाएगी,
पर रिहा फिर भी न हो पाओगे।।
