वक्त
वक्त
तुमसे बहुत सी बातें करनी है
कभी वक्त निकालना ज़रूर
मिलोगे... तो अपनी मर्ज़ी से
मत होना तुम मजबूर
तुम्हें बहुत कुछ बताना है
तुम्हें फिर से जानना है
जो कभी दोस्त हुआ करते थे
उसे फिर से दोस्त बनाना है
तुम्हारे साथ बैठकर हँसना बाकी है
तुम्हारे गले लग रोना है
जो वक्त हमने साथ बिताया
उसी वक्त में फिर से खोना है
आज भी तुम्हारी याद आती है
वो बीते हुए पल..साथ लाती है
जानना चाहती हूँ
कि ज़िन्दगी में खुश हो तुम
ये जानकर भी
कि कितनी मसरूफ हो तुम
सुनो...
तुमसे बहुत सी बातें करनी हैं
कभी मेरे लिए, वक्त निकलना ज़रूर
