शामिल
शामिल
जिनके कभी रोज़ दीदार हुआ करते थे
उनकी एक झलक को तरस गए हैं हम
जो कभी हमारी ज़िंदगी में खास हुआ करते थे
उनकी ज़िंदगी में आम भी नहीं हैं हम
जिनको कभी हम सारा वक्त दिया करते थे
अब उनके वक्त के लायक नहीं हैं हम
जिनके लिए कभी रात भर जागा करते थे
अब उनकी नींदों में शामिल नहीं हैं हम
जिनको कभी खुद से भी ज़्यादा जानते थे
आज उनसे बिल्कुल अनजान हैं हम
जिनको कभी अपना आज और कल कहते थे
उनके आज से वाकिफ नहीं हैं हम
जिनके साथ कभी घँटों बिताया करते थे
आज उनके एक मिनट के काबिल नहीं हैं हम
जो कभी हमारी पसंद हुआ करते थे
अब तो उन्हें नापसन्द भी नहीं हैं हम
जिनसे दिल की हर बात कह दिया करते थे
आज उनकी आवाज़ सुनने से रह गए हैं हम
जिनसे कभी इश्क़ किया करते थे
शायद...उनकी नफरतों में शामिल हैं हम