STORYMIRROR

Palak Inde

Abstract Drama Tragedy

4  

Palak Inde

Abstract Drama Tragedy

ज़रूरत

ज़रूरत

1 min
252

यूँ तो तुम्हें कभी

खली नहीं हमारी कमी

मगर आज क्या हुआ


क्यों हमें दिखी

तुम्हारी आँखों में नमी

क्यों उन महफिलों में

तुम जाने से कतराते हो


जहाँ ना चाहते हुए भी

हमारा ज़िक्र पाते हो

तुम लाख कोशिश करते हो

हमें भुलाने की

हर कोशिश तुम्हारी नाकाम रही


हमें यादों से मिटाने की

वक्त वही, हालात वही

ज़्यादा कुछ नहीं बदला है

पहले तुम बदले थोड़ा सा

अब हमने खुद को बदला है


तुम जताया करते थे

कि तुम्हें हमारी ज़रूरत नहीं

अब हम भी इस काबिल हैं

कि हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं।


ഈ കണ്ടെൻറ്റിനെ റേറ്റ് ചെയ്യുക
ലോഗിൻ

More hindi poem from Palak Inde

दौर

दौर

1 min വായിക്കുക

ज़िन्दगी

ज़िन्दगी

1 min വായിക്കുക

ज़रूरत

ज़रूरत

1 min വായിക്കുക

कश्मकश

कश्मकश

1 min വായിക്കുക

मुलाकात

मुलाकात

1 min വായിക്കുക

बनावट

बनावट

1 min വായിക്കുക

याद

याद

1 min വായിക്കുക

उम्मीद

उम्मीद

1 min വായിക്കുക

सपना

सपना

1 min വായിക്കുക

आवाज़

आवाज़

1 min വായിക്കുക

Similar hindi poem from Abstract