ज़रूरत
ज़रूरत
यूँ तो तुम्हें कभी
खली नहीं हमारी कमी
मगर आज क्या हुआ
क्यों हमें दिखी
तुम्हारी आँखों में नमी
क्यों उन महफिलों में
तुम जाने से कतराते हो
जहाँ ना चाहते हुए भी
हमारा ज़िक्र पाते हो
तुम लाख कोशिश करते हो
हमें भुलाने की
हर कोशिश तुम्हारी नाकाम रही
हमें यादों से मिटाने की
वक्त वही, हालात वही
ज़्यादा कुछ नहीं बदला है
पहले तुम बदले थोड़ा सा
अब हमने खुद को बदला है
तुम जताया करते थे
कि तुम्हें हमारी ज़रूरत नहीं
अब हम भी इस काबिल हैं
कि हमें तुम्हारी ज़रूरत नहीं।