सपना
सपना


कुछ खालीपन सा था
आँखों में नमी थी
सब थे आस पास
बस तेरी कमी थी
हाँ, तू दूर नहीं था
मगर पास भी कहाँ था
तू है साथ मेरे
वो एहसास भी कहाँ था
सिर्फ तेरी ज़रूरत थी
मगर, तुझे बुला न सके
लाख कोशिशों के बाद भी
तुझे भुला न सके
आज भी ज़िंदा हो तुम
हमारी आदतों में
ज़िक्र तेरा ही करते हैं
अपनी बातों में
जो कभी हमारा था
वो रूठ से गया है
जो सपना देखा था
तेरा मेरे साथ होने का
वो टूट से गया है।