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Sumit Yadav

Abstract

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Sumit Yadav

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मजदूर हूँ

मजदूर हूँ

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मेहनत मेरा काम है

हाँ यही मेरी पहचान है

मजदूर हूँ तो क्या हुआ

यही सर्व सम्मान है


रास्तों को मोड़ कर

पत्थरों को तोड़ कर

जग का निर्माण करूँ

जन-जन को जोड़ कर


क्या करूँ थकता नहीं

कर्म से भटकता नहीं

एक मजदूर हूँ

मेहनत से डरता नहीं।


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