जीवन कठिन है
जीवन कठिन है
जीवन कठिन है
जीवन दु:खमय है
जीवन कष्टों की खान
नानक दुखिया सब संसार
सदियों से महसूस किया जा रहा है
जब से दुनिया प्रारंभ हुई तब से।
हल ?
स्वीकार्य भाव
इस सच्चाई को देखना,
समझना और स्वीकार करना कि
दु:ख, कष्ट, निराशा, संघर्ष, उदासी,
बीमारी, मृत्यु सब जीवन के ताने-बाने में हैं।
इस बात के स्वीकार्य
भाव में ही भलाई है।
किस शास्त्र में लिखा है
जीवन सुखमय ही होगा
न ही यह प्रमाणपत्र
लेकर पैदा हुए थे
सब अच्छा ही होगा।
ए मानव
तुम्हें हर पल जीना है
एक नई ललकार के साथ
कष्टों और दु:खों के साथ
समझदारी से जीना सीखना है
वह भी प्रसन्नता के साथ।
आग में जलकर
जैसे सोने में निखार आता है
दु:खों की भट्टी में तप कर
जीवन खुशगवार होता है।