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Deepika Guddi

Abstract

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Deepika Guddi

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चेहरा : Self Reflection

चेहरा : Self Reflection

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जब जब देखा इस मुस्कुराते चेहरे को 

आईना भी शर्माता नज़र आया


और जब भी पड़ी निगाहें उनपे

चेहरे पर नूर इतना बिखरा नज़र आया

ज़ैसे चाँद कीं रोशनी में नहा कर

निकली हो अभी अभी


ज़ो देखा ज़रा ग़ौर से फ़िर इक़ बार

तो सूरज भी शर्माता नज़र आया


ये चेहरे की शोख़ियाँ है, या है कोई आईना

जिसके अंदर झांकने की क़ोशिश की 

तो ख़ुद क़ा अक्स नज़र आया

ये क़्या ?


थोड़ी सी उदासी क़्या आईं इस चेहरे पे 

तो खिला गुलशन मुरझाता नज़र आया

थोड़ी और क़रीब से देखा तो 

 खिले आसमाँ में काले गहरे बादल

का साया नज़र आया


कैसे बयां करूँ उस चेहरे को 

ज़ो क़भी मह्क़ा सा गुलाब

तो क़भी उजड़ा चमन नज़र आया


ये चेहरा नही ख़ुद के अक्स हैं साहब

ज़ब दिल मुस्कुराया तो चाँद सा शीतल

और दिल रोया तो सावन में भी

पतझड़ का मौसम नज़र आया


इसकी ख़ासियत बस इतनी की बहते 

झरने में भी स्थिर नज़र आया

ये चेहरा।


साहित्याला गुण द्या
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