चेहरा : Self Reflection
चेहरा : Self Reflection
जब जब देखा इस मुस्कुराते चेहरे को
आईना भी शर्माता नज़र आया
और जब भी पड़ी निगाहें उनपे
चेहरे पर नूर इतना बिखरा नज़र आया
ज़ैसे चाँद कीं रोशनी में नहा कर
निकली हो अभी अभी
ज़ो देखा ज़रा ग़ौर से फ़िर इक़ बार
तो सूरज भी शर्माता नज़र आया
ये चेहरे की शोख़ियाँ है, या है कोई आईना
जिसके अंदर झांकने की क़ोशिश की
तो ख़ुद क़ा अक्स नज़र आया
ये क़्या ?
थोड़ी सी उदासी क़्या आईं इस चेहरे पे
तो खिला गुलशन मुरझाता नज़र आया
थोड़ी और क़रीब से देखा तो
खिले आसमाँ में काले गहरे बादल
का साया नज़र आया
कैसे बयां करूँ उस चेहरे को
ज़ो क़भी मह्क़ा सा गुलाब
तो क़भी उजड़ा चमन नज़र आया
ये चेहरा नही ख़ुद के अक्स हैं साहब
ज़ब दिल मुस्कुराया तो चाँद सा शीतल
और दिल रोया तो सावन में भी
पतझड़ का मौसम नज़र आया
इसकी ख़ासियत बस इतनी की बहते
झरने में भी स्थिर नज़र आया
ये चेहरा।