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ARVIND KUMAR SINGH

Abstract

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ARVIND KUMAR SINGH

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धरती को बांटा

धरती को बांटा

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हाहाकार मचा दुनिया में

ये घड़ी है कैसी आई

करोना की काली चादर

महामारी बन के छाई


मानवता की गति रोक दी

मिलना जुलना भी काटा

रेड, आरेंज, ग्रीन जोन्स

में पूरी ही धरती को बांटा


एक छोटा विषाणु कैसे

इंसानों को निगल रहा

धरती रो रही फूट फूट के

रक्त आंसू में निकल रहा


मनुष्य हुआ असहाय कब

त्रासदी से छुटकारा होय

लाखों गये मौत के मुंह में

बचने का उपाय न कोय।


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