यार के संग होली
यार के संग होली
फुहार बरस रही रंगों की
चहुँ दिश मस्तों की टोली
निकल पडा़ हूं मैं भी खेलन
अपने यार के संग में होली
शरमायेगा सकुचायेगा
भले वो पास नहीं आऐगा
मानूगा लेकिन न मै भी
जब तक न रंग जाऐगा
अंगिया रंगुंगा चूनर रंगूंगा
और रंग दुंगा में चोली
कभी न उसने खेली होगी
ऐसी कर दूँगा मैं होली
लाख जतन वो कर ले चाहे
बच न सकेगा अबके
सराबोर कर दुंगा उसको
पकड़ के सामने सबके!