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ARVIND KUMAR SINGH

Inspirational

4.5  

ARVIND KUMAR SINGH

Inspirational

क्‍या मौत हमारी आई है?

क्‍या मौत हमारी आई है?

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धधक रही हर दिल में ज्‍वाला

उर अन्‍तर धुन्‍धलाये हैं

ये कैसा उजियारा छाया

लहू से दीप जलाऐ हैं


कहीं पे शोले, कहीं पे लपटें

कहीं मचा हुआ कुहराम

मरने वाले पुकार रहे हैं

अल्‍लाह, ईशु, नानक, राम


मानव रक्‍त में ऐसी गर्मी

देव, असुर भी शरमाऐ हैं

भाई के लहू का प्‍यासा भाई

मूढ़, आपस में भरमाऐ हैं


भारत मां हम सबकी एक

क्या इसे बांटना होगा नेक

जो पागल नहीं हुऐ हम क्‍यों

फिर धर्म-जाति के भेद अनेक?


सिसकती देखी स्तब्ध भावना

घड़ी मिलकर रहने की आई है

फिर भी हम सब बंटना चाहें

क्‍या मौत हमारी आई हे?


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