मां मेरी भारती
मां मेरी भारती
कदमों में तेरे शीश चढाके भी
उतारुंगा तेरी मैं आरती
मशाल दिल में जल रही
मांदरे वतन, मां मेरी भारती
गुस्ताख़ नजर को बख्शा नहीं
देकर जान भी इसकी शान में
सुभाष भगत और विस्मिल जैसे
मतवाले मिट गए तेरी आन में
तेरी मांग का सिंदूर तिरंगा
तिरंगा ही तेरा आंचल है
तिरंगे की शान से वजूद हमारा
कश्मीर, विन्ध्य, हिमाचल है
इसी के रंग में रंगा हुआ
पूरा हिन्द देश मतवाला
मैं भी रंग कर बैठा देखो
चोला केसरिया वाला
करोड़ों भुजाए
ं फड़क रहीं हैं
थामने तिरंगा हरएक हाल में
आतुर हैं जड़ें समाने इसकी
हम दुश्मन के भी भाल में
सजग हैं प्रहरी सीमा पर
बिन सोये भांपने खतरे को
नहीं गंवारा झुके तिरंगा
खून के आखरी कतरे को
स्वाभिमान ही देश हमारा
स्वाभिमान को ऐंठे हैं
जयघोष का उन्माद लिए
बांध कफन हम बैठे हैं
ऐसे जिगर सपूतों की
मां ठहरीं तुम मेरी भारती
भेंट चढाकर भी शीशों की
उतारेंगे तेरी हम आरती
तुम जो ठहरीं मां मेरी भारती
मां मेरी भारती।