झाँसा देना।
झाँसा देना।
घनघोर अँधेरा छटेगा जानते ना ये है,
घनघोर कलयुग आ गया अब यार है।
हर कोई झाँसा देना के लिए तैयार है,
मौका परस्ती के वास्ते सदा तैयार है।
वैसे तो हर चीज झाँसा देती दिखी है,
ज़िंदगी भी कभी कभी झाँसा देती है।
कुछ तो झाँसा देना बुद्धिमानी समझें,
ख़ुद को बहुत ही भाग्यवान है समझें।
हलाल की कमाई से गुज़ारा करना है,
झाँसा देने से नहीं होना कभी भला है।