हिंद के शेर
हिंद के शेर


उसकी बेईमानी के बारे में क्या - क्या कहुँ,
जड़-मूल से खाना चाहता है सबको,
हासिल करना चाहता है सबको,
विश्व-विजय की मंशा उसकी,
नापाक इरादों से जीतना चाहता है सबको,
पर नहीं पता उसको हिन्द के शेरों का,
जो शांत है अभी
गलत इरादे से घुसा गर हिदुस्तान में
तेरे लब्ज़ भी नहीं मिलेंगे कब्रिस्तान में
कि था कोई इस जहान में शेरों से
लड़ना तुझे पड़ेगा भारी
तेरी नस्ल भी सोचेगी हर बारी
हिन्द के शेरों से लिया जो पंगा
महंगा पड़ा है कर देंगे नंगा
जय हिन्द, जय भारत।