सैनिक को नमन
सैनिक को नमन
खाते कभी लू के थपेड़े, गिर जाते होश गंवा कर
जम जाते कभी बर्फ में, सारे सुख-दुःख भुला कर
सैनिक के नित्य समर्पण, कैसे हम जाएँगे भूल
सर्वोच्च सम्मान से सज, जो पाएँ जीवन भर शूल ।
फौजी की बेवा बन भी वे ,मजबूत कलेजा रखती हैं
दुःख अपना भूल , तनय को फौजी बनाती हैं
ओ सियासत करने वालों, बंद करो अपना आलाप&
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कागज के पन्नों पर अब, नहीं चलेगा झूठा प्रलाप।
छोटी सी भी एक सर्जरी, विकल हमें कर जाते हैं
हाथ-पांव गवां भी वे, दुश्मन के छक्के छुड़ाते हैं।
जिल्लत सह उनका परिवार, हो न जाएँ गुमनाम
कर्तव्य ये है हमारा, हो न कहीं देश बदनाम।