लगन बन जाती ज़ब अगन
लगन बन जाती ज़ब अगन
जिंदगी ज़ब परेशान करती है
लगन जब अगन बन जाती है
बस्ती अरमानों की जलकर
उस में राख़ बन जाती है।
उम्मीदें जब थामकर चलतीं हैं
दामन कामयाबी का
हर मुश्किल डगर आसान
और सुगम बन जाती है।
ठानकर जो चला घर से
कुछ कर दिखाने के सपनों को
मौत भी उससे हाथ मिलाकर
ऊपर की तरफ़ लौट जाती है।