ईद की याद
ईद की याद
जब जब ईद आती है,
मुझे प्रेमचंद विरचित *ईदगाह* कहानी याद आती है !
याद आता है हामिद ,
उसके बाल मन का बड़प्पन!
गुरबत की मारी उसकी बुढ़िया अम्मा!
याद आता है हामिद का नायाब *चिमटा* ,
जो सब खिलौने पर भारी होता है!
और इस तरह मैं मना लेता हूं ईद!
प्रेषित कर देता हूं ईदी आज के हामिद को...!
याद कर लेता हूं अपने पुरखे प्रेमचंद जी को...
और बुढ़िया अम्मा की भाँति नम हो जाती है मेरी आंखें ..!