आँख और आँसू
आँख और आँसू
आँसू आँखों का गहना
नहीं चाहिए उसे बहना
साथ निभाता बन सरूर
कभी सता बन जाता क्रूर।
आँखों का है यह परित्राता
नारी से इसका गहरा नाता
नारी के आँखों का है ये नूर
चमके आँखों में बन कोहिनूर।
बह निकला जो लगातार
बना दिया कमजोर नार
आँखों से जब ना टपके
पत्थर दिल इल्जाम लगे।
पलकों पर जो इसको रोका
पनीली है आँखें कह टोका
जो इसे सुखाया आँखों में
उदास आँखें पाई लाखों में।
बात बात पर जो टपकाए
त्रिया चरित्र का तमगा पाए
करता ये ऐसे अठखेली
जैसे कोई सखी सहेली।।
