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दिनेश कुमार कीर

Tragedy Action Fantasy

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दिनेश कुमार कीर

Tragedy Action Fantasy

ख्वाब

ख्वाब

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ख्वाब सिमटे जो मुट्ठी में छूट ही जाएंगे 

एक दिन 


बनकर बैठे जो अपने रूठ ही जाएंगे 

एक दिन


मोहब्बत ख्वाब सी उसकी वादे कांच से

 नाज़ुक 

हिफाजत कितनी भी कर लूं टूट ही जाएंगे 

एक दिन।


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