दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)
Action
अगर तुमको सचमुच
ही पानी है
संयम की परिभाषा
तो बोलनी होगी
नारी के संग
नारीकी समझ की
भाषा
तुम पुरुष हो तो
यह मत भूलो कि
विश्वामित्र भी पुरुष थे
मेनका ने तोड़ी थी
उनकी मौन भाषा
यह एक तपस्या ही है
कि तुम्हारे सामने प्रकृति
रहे
और तुम पुरुष न रहो।
एकता
बाढ़ में
संयम
सफर
भीड़
हृदय
जीवन संघर्ष
जंगल
मजदूर !
परिस्थितियों के अनुसार रहना पड़ा तो ज़रूरी बहुत। परिस्थितियों के अनुसार रहना पड़ा तो ज़रूरी बहुत।
जो एक आम दिन को खास बना कर रह गई। जो एक आम दिन को खास बना कर रह गई।
करोगे छेड़ खानी तुम, सभी जीवन मिटा देना।। करोगे छेड़ खानी तुम, सभी जीवन मिटा देना।।
हम मानव हैं और प्रत्येक प्राणी मात्र की रक्षा करना हमारा धर्म होता है। हम मानव हैं और प्रत्येक प्राणी मात्र की रक्षा करना हमारा धर्म होता है।
बिना बताये वो वहां से चली गई, हमारी प्रेम-कहानी भी ख़त्म हुई। बिना बताये वो वहां से चली गई, हमारी प्रेम-कहानी भी ख़त्म हुई।
चिराग़ जल उठे हैं आज रौशनी के लिए। चिराग़ जल उठे हैं आज रौशनी के लिए।
मेरी छोटी चाची जी भी, मेरे फूफर जी छोड़ गए, एक दिन हम सभी सच, ये जहाँ छोड़ जाना सच। मेरी छोटी चाची जी भी, मेरे फूफर जी छोड़ गए, एक दिन हम सभी सच, ये जहाँ छोड़ ज...
हैसियत के अनुसार सदा हम सभी को मदद करना। हैसियत के अनुसार सदा हम सभी को मदद करना।
छुट्टी के समय हम सब दोस्त मिलकर आते थे घर। छुट्टी के समय हम सब दोस्त मिलकर आते थे घर।
आज लगभग बीस साल हो गए शादी को, घमंड ससुर से ले कर पत्नी का क़ायम है। आज लगभग बीस साल हो गए शादी को, घमंड ससुर से ले कर पत्नी का क़ायम है।
पतंग बनकर उड़ जाऊंगी मैं आसमां के पास। पतंग बनकर उड़ जाऊंगी मैं आसमां के पास।
जूही चम्पा गुलाब हैं मदमाते और शरद सौरभ प्रचुर : जूही चम्पा गुलाब हैं मदमाते और शरद सौरभ प्रचुर :
तुम्हारे लिए कुछ भी करते, जितना करूँ लगा कम ही। तुम्हारे लिए कुछ भी करते, जितना करूँ लगा कम ही।
मेहंदी हमारे नाम की, हमसफ़र ने लगाई थी। मेहंदी हमारे नाम की, हमसफ़र ने लगाई थी।
तोड़कर अहम की दीवारें खुली हवा में पंछियों के साथ चहचहाना सीखो। तोड़कर अहम की दीवारें खुली हवा में पंछियों के साथ चहचहाना सीखो।
अनुशासित बहुत ही ज़्यादा वो, वक़्त की पाबंद बहुत ज़्यादा है, अनुशासित बहुत ही ज़्यादा वो, वक़्त की पाबंद बहुत ज़्यादा है,
जब थक कर, रुक कर देखा तो रास्ता ही मंज़िल है पता चला। जब थक कर, रुक कर देखा तो रास्ता ही मंज़िल है पता चला।
तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हुआ, आकर मुझे पत्नी बनाकर ले जा। तुम्हारे बिना जीना मुश्किल हुआ, आकर मुझे पत्नी बनाकर ले जा।
उन तक तुम्हारे 'पाक़' दिल की आवाज़ ज़रूर पहुंचेगी ...! भाई, तुम अपनी उम्मीद न छोड़ना ...! उन तक तुम्हारे 'पाक़' दिल की आवाज़ ज़रूर पहुंचेगी ...! भाई, तुम अपनी उम्मीद न...
मिले ना मिले, बस वो प्रसन्न, यदि छोड़कर, तो हम प्रसन्न। मिले ना मिले, बस वो प्रसन्न, यदि छोड़कर, तो हम प्रसन्न।