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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Others

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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

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सफर

सफर

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सफर करना भी है एक कला

जिसमें अपनों के जैसे क्षणिक

सम्बन्ध बनते बिगड़ते रहते हैं।

जगह मिलने पर वाह वाह

धक्के लगने पर आह


कलाकार वही है

जो आह वाह कर सके

मंज़िल पर आकर


सब भूल जाता है

याद भी नहीं रहता

न आह

न वाह

रहती हैं

सिर्फ यादें

और सुकून भरी

थकान।।


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