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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Tragedy

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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Tragedy

मजदूर !

मजदूर !

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दुनिया के हर प्रकार के मजदूरों को समर्पित..........


  ( १)

और उसकी आवाज़ कपकपा गई

अपने हक को मांगते हुये

कि उसको कितना जोर से 

बोलना चाहिये

अपने श्रम की कीमत के लिए।


और उसने बड़े पद की

बड़ी आंखों से

घूर कर तिरछे ताके गये

मूल्य से संतोष कर लिया।।


( २)

शहर तुझे हैरत

तब होगी

जब तुम उठने 

की कोशिश करोगे,

और उठ नहीं पाओगे।।

टूटी हुई कमर

से उठना

बहुत मुश्किल होगा।।

श्रमिकों से तुम खड़े थे, बढ़े थे ,

हँस कर दौड़ रहे थे शहर


बस उन्ही को रोक नहीं पाये।

अब गाँव हँसेंगे

कोस कोस कर रो भी रहे हैं ,खूब हँस भी 

रहे हैं।

टूटी कमर और अपने चमकते भाग्य पर भी,

 शहर।।


         


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