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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Tragedy

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दिनेश तिवारी(भोजपुरिया)

Tragedy

एकता

एकता

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बराबर इस प्रकार के आयोजन होते रहते हैं

जिसमे हिन्दू- मुस्लिम एकता की

बातें बोली जाती हैं।

सभी अपने अपने को धर्म निरपेक्ष घोषित करते हैं।


रसखान रहीम से लेकर 

हमीद की दुहाई

मुसलमान देते हैं तो

दूसरी ओर भारत की

सामासिक संस्कृति भी

हिंदुओ द्वारा दुहराई जाती है।


कोई- कोई पहुचे फकीर

खून की रंगीन बात कर नही अघाते।

मुझे ऐसे आयोजनों से चिढ़ है

क्योकि ये आयोजन होते हैं

कर्फ्यू के बाद या त्योहार से पहले

चिढ़ने का एक और भी कारण है।


मैंने देखा है धर्म निरपेक्षतावादियों को

अपने-अपने मस्जिद और मन्दिर की ओर जाते हुये।

कोई मुसलमान कभी मन्दिर नहीं मुड़ा और

न ही कोई हिन्दू मस्जिद।


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