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मिली साहा

Abstract Tragedy

4  

मिली साहा

Abstract Tragedy

वक्त की आंधी

वक्त की आंधी

2 mins
215


वक्त की रेत हाथ से यूं फिसलती गई,

एक- एक कर रिश्ते सारे दूर होते गए,

वक्त की आंधी ने ऐसी धूल उड़ाई कि,

जिंदगी के सभी रास्ते धुंधले से हो गए।।


ये जीवन चक्र है हर पल हर घड़ी चलता रहता है,

वक्त बदलता है यहां पर, पल में इंसान बदलते हैं,

मिलता है कोई राह में कभी तो कोई छोड़ जाता है,

एक मोड़ आता है और पल में रास्ते बदल जाते हैं।।


फिर भी सफ़र नहीं रुकता है यह चलता ही रहता है,

जीते हैं लोग यहां और खूबसूरत ख्वाब भी सजाते हैं,

विश्वास टूट जाता है पल पल यहां चेहरे बदल जाते हैं,

भूलकर सब कुछ जिंदगी के सफर में आगे बढ़ जाते हैं।।


मैंने भी ख्वाबों की बड़ी ही खूबसूरत दुनिया सजाई थी,

अपने दिल में रिश्तों के लिए एक खास जगह बनाई थी,

गम ना था कोई जीवन में बस खुशियों का ही था बसेरा,

खुशनसीब था मैं जो इतनी अच्छी किस्मत मैंने पाई थी।।


पर किस्मत कब बदल जाए इसका अंदाजा नहीं होता है,

वक्त जब छोड़ देता है साथ तो हर रिश्ता बदल जाता है,

जानी पहचानी सी राहें भी अजनबी सी लगने लगती हैं

विश्वास का धागा कतरा कतरा बस टूटता चला जाता है।।


दूर हो गए सभी अपने मुझसे और मैं तन्हा ही रह गया,

अपने ही आशियाने में एक अजनबी मुसाफिर हो गया,

किस्मत ने मेरी खुशियों की चादर एक बार में ऐसे खींची,

कि एक होना जो पकड़ा था वो भी हाथ से फिसल गया।।


जिसे समझा आपना कभी वो सब तो अब बेगाने हो गए,

खुशियों की फुलवारी सूखी, और ग़म मेरे दीवाने हो गए,

हवाओं ने मोड़ लिया रुख अपना, जिंदगी बेरंग सी हो गई,

कोई नहीं अपना कहने को, ख्वाब सारे अफसाने हो गए।।


हंसती खेलती दुनिया मेरी पल भर में ही बिखर कर रह गई,

किसको कहूं अपना, विश्वास की डोर ही कमजोर पड़ गई,

पहचान ना सका रिश्तो को वो कितने खोखले और झूठे थे,

एक छोटा सा तूफ़ान क्या आया रिश्तो में ही दरार पड़ गई।।


परिवर्तनशील ये संसार यहां पल-पल सब कुछ बदलता है,

इसी बदलाव के साथ खुद को बदलना जीवन कहलाता है,

जो जीवन में आकर चला गया वह कभी हमारा था ही नहीं,

इस जीवन को समझ ले जो वो भव सागर से निकलता है।।


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