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Sudhirkumarpannalal Pratibha

Abstract

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Sudhirkumarpannalal Pratibha

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मजबूत शक

मजबूत शक

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शक

की

आंधी

चली

अनेकों

रिश्ते

धराशाई

हो गए

सूखेे

पत्तों की

तरह

प्रेम

जो कि

सच्चा था

अच्छा था

मजबूत था

प्यारा था

अटूट था

उसको भी

शक ने

विश्वास की

नींव को

उखाड़ते हुए

नेस्तनाबूद

कर दिया

प्रेम से भी

ज्यादा

ताकतवर

शक है

विश्वास पर

शक

भारी है. 


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