झूठ को सच में बदलने पे तुले है
झूठ को सच में बदलने पे तुले है
झूठ को सच में बदलने पे तुले हैं
तलवारें लेकर कुछ "किसान" निकले हैं
पहले दुष्कर्म और अब नृशंस हत्या
"मासूमियत" के चोले में ये कातिल चले हैं
राष्ट्र ध्वज के अपमान पर भी शर्म नहीं
दुश्मनों की खैरात पर कुछ गद्दार पले हैं
मीडिया के लाडले नेताओं के करीबी
राह रोके जो खड़े वो सच में संपोले हैं
विलायती दारू बादाम अखरोट का हलवा
देश के "गरीब" सरकारें बदलने निकले हैं।