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Vedashree Vyas

Abstract Inspirational

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Vedashree Vyas

Abstract Inspirational

आर्य

आर्य

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हम कौन थे, क्या हो गये हैं, और क्या होंगे अभी

आओ विचारें आज मिल कर, यह समस्याएं सभी

भू लोक का गौरव, प्रकृति का पुण्य लीला स्थल कहां


फैला मनोहर गिरि हिमालय, और गंगाजल कहां

संपूर्ण देशों से अधिक, किस देश का उत्कर्ष है

उसका कि जो ऋषि भूमि है, वह कौन, भारतवर्ष है


यह पुण्य भूमि प्रसिद्ध है, इसके निवासी आर्य हैं

विद्या कला कौशल्य सबके, जो प्रथम आचार्य हैं

संतान उनकी आज यद्यपि, हम अधोगति में पड़े


पर चिन्ह उनकी उच्चता के, आज भी कुछ हैं खड़े

वे आर्य ही थे जो कभी, अपने लिये जीते न थे

वे स्वार्थ रत हो मोह की, मदिरा कभी पीते न थे


वे मंदिनी तल में, सुकृति के बीज बोते थे सदा

परदुःख देख दयालुता से, द्रवित होते थे सदा

संसार के उपकार हित, जब जन्म लेते थे सभी


निश्चेष्ट हो कर किस तरह से, बैठ सकते थे कभी

फैला यहीं से ज्ञान का, आलोक सब संसार में

जागी यहीं थी, जग रही जो ज्योति अब संसार में


वे मोह बंधन मुक्त थे, स्वच्छंद थे स्वाधीन थे

सम्पूर्ण सुख संयुक्त थे, वे शांति शिखरासीन थे

मन से, वचन से, कर्म से, वे प्रभु भजन में लीन थे

विख्यात ब्रह्मानंद नद के, वे मनोहर मीन थे।


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