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Anita Chandrakar

Abstract

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Anita Chandrakar

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मन बंजारा

मन बंजारा

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नहीं ठहरता एक बिंदु पर,

घूमता रहता इधर उधर।

सीमाओं में बंधना स्वभाव नहीं,

आसमान को छू लेता उड़कर।


मन बंजारा चाहे आज़ादी,

रंग बिरंगी सपनों की दुनिया।

वेग चाल की गणना मुश्किल,

अपरिमित इच्छाओं की तितलियाँ।


अपनी गति लय ताल में,

नाचे मन मुग्ध मगन होकर।

त्याग अनंत इच्छाओं को 

जी ले जीवन सादा सुखकर।


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