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Anita Chandrakar

Romance

3  

Anita Chandrakar

Romance

बसंत

बसंत

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लो फिर आ गया बसंत

तुम कब आओगे।

सरसों मुस्कुराने लगी खेत में

अलसी भी निखर गई।

सेमल का रंग हो गया गहरा लाल

बौर की महक बिखर गई।

लद गए टेसू फूलों से

धूप भी है खिली खिली

मौसम लगा गुनगुनाने।

आ जाओ प्रिये बसंत की तरह

मुझे भी गीत सुनाने।



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