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स्वाती गुप्ता

Romance

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स्वाती गुप्ता

Romance

प्रेम

प्रेम

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मेरे लिये क्या हो तुम

इस बात को मैं बतलाती हूँ

जो ना दिखते हो एक पल भी

तो मैं विचलित हो जाती हूँ।


प्यारा सा अहसास हो तुम

मेरे दिल के पास हो तुम

कहने को तो बहुत हैं रिश्ते

पर सब रिश्तों मे खास हो तुम।


सात फेरों के सात वचनों ने

तुमको मुझसे बाँध दिया

तुमने भी तो हर पल हमदम

दिल से मेरा साथ दिया।


मेरे चेहरे की उदासी

तुमसे ना छिप पाती है

मेरी खामोशी तुमको

हर पल बड़ा सताती है।


मुझको मनाने की खातिर

तुम कुछ भी कर जाते हो

अपनी ऊटपटाँग हरकतों से

मुझको बहुत हँसाते हो।


है रसोई से प्यार तुम्हें

ना जाने क्या-क्या पकाते हो

अजीब-अजीब नाम बताकर

मुझको वो खिलाते हो।


पर जो भी हो

जैसे भी हो

मुझको बडे़ प्यारे हो तुम

अपनी माँ के तो हो ही।


मेरी आँखों के भी तारे हो तुम।


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