तेरी फिकर है
तेरी फिकर है
दोस्ती के इस मौसम का इस्तकबाल करें
आओ हम तुम एक नया जहां तलाश करें
लाल गुलाबी रंगो की चमक जहां भरपूर हो
इश्क की ज़मीन और प्रीत के गगन में
एक साथ कदम ए शौक का आगाज करें,
दूर दुनियां के झमेलों से सुकून के पलों तक
गरम जलती शमा की लौ के दो किनारों तक
हरे पीले खेतों में गेहूं की सीकी बालियों तक
सलेटी आंखों तले सफेद राज के काजल तक,
चल नापें थमे हुए नीले सागर की गहराइयां
सुनें हम तुम तूफ़ान से पहले की खामोशियां
आवाज़ जो दुनियां से दबा के रखी थी हमने
आज गूंजने दे प्यारे बोल मिटने दे तन्हाइयां,
ये डर कैसा...कैसी ये झीनी सी झिझक है
अब हर लम्हा भी अपना दोस्त ए अज़ीज़ है
खुल के कर इजहार ए इश्क मेरे दिलदार
मैं जानता हूं कि..…
मुझे तेरी और तुझे मेरी फिकर है
हां फिकर है... हां फिकर है।