सांवली सलोनी आँखों में
सांवली सलोनी आँखों में
सांवली सलोनी तेरी आँखों में
डुबने का मजा ही कुछ और है
माना के ये है एक सजा मगर
ये सजा ही कुछ और है || 0 ||
हर फसाना हर कहानी यहाँ की
यूं ही नहीं बनती है यहाँ
जिंदगी की तरह कहानीयां भी
दिल की पनपती है कहां कहां
अगर है भी ये फसाना बेवजह
तो ये बेवजह भी कुछ और है
माना के ये है एक सजा मगर
ये सजा ही कुछ और है || 1 ||
यूं ही नहीं मिलाया कुदरत ने मुझे
तुझसे ऐ मेरे जान ए जिगर
साथ मेरा छोड़ कर यूँ
चल दी कहा तू आज किधर
दिल जानता है मंजूर तो होनी है
पर ये इल्तिजा ही कुछ और है
माना के ये है एक सजा मगर
ये सजा ही कुछ और है || 2 ||
वादियों में आज कुछ
अलग सा ही इशारा है
कहना कुछ चाहती है ये
क्या खूब ये नजारा है
महका महका सा समा है देखो
आज की फिजा कुछ और है
माना के ये है एक सजा मगर
ये सजा ही कुछ और है || 3 ||