दो पल
दो पल
जब आना तुम ले आना दो पल,
ढेर सारी बाते और सिर्फ मीठे पल,
मैं बोलूं कुछ न बेशक,
तुम हर बात समझना एक टक,
आंखों से कहना सब तुम,
मेरी आंखों को पढ़ना बस तुम,
थोड़ी बाते चाय के स्वाद पर,
थोड़ी बाते मौसम के हाल पर,
कहना है काफी लेकिन बस चुप रहना सही सा लगता है,
यूं मुलाकातों का होना कभी जरूरी सा लगता है,
बस दो पल जो सिर्फ मेरे होंगे,
जिनमें सिर्फ मीठे गीत होंगे,
बस दो ही पल ठहर जाना,
जल्दी जाने का जिक्र न लाना,
यूं आधे आधे नही पूरे ही आना तुम,
जब बाते होने लगे कम कोई नया किस्सा छेड़ देना तुम,
दो पल की मुलाकात में कई लम्हे संजोने है,
ना जाने फिर कब होगी मुलाकात इसलिए जी भर के जीने,
दो पल वो जिनमें खुबसूरत यादें हैं,
मेरा इंतज़ार है,
तुम्हारा अनकहा इज़हार है,
एक चुप सवाल है,
हम दोनो को मुलाकात का इंतज़ार है,
बस दो पल ही मेरा उपहार है।

