उंगली पकड़कर तेरी मैं संभली, डाँट भी लगती थी कितनी भली, उंगली पकड़कर तेरी मैं संभली, डाँट भी लगती थी कितनी भली,
बहुत मन भाए ये झम-झम बरखा जब बूँदों का शोर मचाए... बहुत मन भाए ये झम-झम बरखा जब बूँदों का शोर मचाए...
सोचा "ख़ुशी मिली थोड़ी सी" फिर भी, थोड़ी सी खुशी में हम अपना जहाँ सोचा "ख़ुशी मिली थोड़ी सी" फिर भी, थोड़ी सी खुशी में हम अपना जहाँ
दिन मेरा पूरा महका महका सा गुज़रा दिन मेरा पूरा महका महका सा गुज़रा
महका हुआ कोई गुल याॅ शायर का ख्वाब हो चन्द लफ़्ज़ों में कहूँ तो आप लाजवाब हो। महका हुआ कोई गुल याॅ शायर का ख्वाब हो चन्द लफ़्ज़ों में कहूँ तो आप लाजवाब हो।
शामें ठहरी सी, बातें गहरी सी। सुकून मेरे आस पास होता है। शामें ठहरी सी, बातें गहरी सी। सुकून मेरे आस पास होता है।