मन से सारा अंधकार मिटेगा, जब सत्यता का दीप जलेगा। मन से सारा अंधकार मिटेगा, जब सत्यता का दीप जलेगा।
क्यों मुझे ईश्वर के चरण स्पर्श नहीं क्यों मुझसे होता शृंगार नहीं। क्यों मुझे ईश्वर के चरण स्पर्श नहीं क्यों मुझसे होता शृंगार नहीं।
तुम हवा का इक बहता झोंका मैं नौका की इक पतवार तुम पर मेरा क्या अधिकार तुम हवा का इक बहता झोंका मैं नौका की इक पतवार तुम पर मेरा क्या अधिकार
हे विधाता किसी को यूँ कठपुतली सा लाचार न करना ! हे विधाता किसी को यूँ कठपुतली सा लाचार न करना !
स्नेह पुष्प जब मन में खिलेगा, जीवन उपवन महक उठेगा।। स्नेह पुष्प जब मन में खिलेगा, जीवन उपवन महक उठेगा।।
विभिन्य रंगों से यह दुनियाँ सजी है , सब एक होकर भी लगते अलग -अलग हैं !! विभिन्य रंगों से यह दुनियाँ सजी है , सब एक होकर भी लगते अलग -अलग हैं !!