भवतारिणी मान इस सिंधु को तू यात्रा का आनंद उठा। भवतारिणी मान इस सिंधु को तू यात्रा का आनंद उठा।
वो जिनका शब्द बनना अभी बाकी है, किसी अधरंगे पट के टुकड़े की तरह है वो जिस पर मधुबनी होनी अभी बाकी ... वो जिनका शब्द बनना अभी बाकी है, किसी अधरंगे पट के टुकड़े की तरह है वो जिस पर म...
प्यार करे तो दुर्गा हैं माँ, गुस्सा करे तो काली हैं माँ, हर रूप है निराला उसका.... प्यार करे तो दुर्गा हैं माँ, गुस्सा करे तो काली हैं माँ, हर रूप है निराला उसका.....
तुम हवा का इक बहता झोंका मैं नौका की इक पतवार तुम पर मेरा क्या अधिकार तुम हवा का इक बहता झोंका मैं नौका की इक पतवार तुम पर मेरा क्या अधिकार
उसने उस बुढ़िया को बिठाया और अपने डिब्बे से एक निवाला उसे खिलाया। उसने उस बुढ़िया को बिठाया और अपने डिब्बे से एक निवाला उसे खिलाया।
एक बिना दूजे का, अर्थ नहीं रहता जीत कहाँ पाते यदि हार नहीं होती एक बिना दूजे का, अर्थ नहीं रहता जीत कहाँ पाते यदि हार नहीं होती