भवतारिणी मान इस सिंधु को तू यात्रा का आनंद उठा। भवतारिणी मान इस सिंधु को तू यात्रा का आनंद उठा।
हसीं की महफिलों में देखो छा गए हैं वो। हसीं की महफिलों में देखो छा गए हैं वो।
कागज़ की कश्ती थी, खेलने की मस्ती थी, दिल ये आवारा था तितली जैसा निराला था कागज़ की कश्ती थी, खेलने की मस्ती थी, दिल ये आवारा था तितली जैसा निराला था
आशा की नई किरण तक, अपना साथ यहीं तक। आशा की नई किरण तक, अपना साथ यहीं तक।
करूँ शिकायत दिल ने खुद से कहा थे वो अपने ही में शिकायत किससे करता। करूँ शिकायत दिल ने खुद से कहा थे वो अपने ही में शिकायत किससे करता।
क्यों ना इस बार कुछ यों कर ले तुम अपनी कहो मुझे अपनी सुनाने दो क्यों ना इस बार कुछ यों कर ले तुम अपनी कहो मुझे अपनी सुनाने दो