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Vivek Netan

Romance

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Vivek Netan

Romance

सुनो ना जो कभी कहा नहीं

सुनो ना जो कभी कहा नहीं

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सुनो ना जो कभी कहा नहीं 

वो आज तो कह लेने दो 

तेरे शहर में तो जगह ही नहीं 

तुम अपने दिल में तो रहने दो 


मत बांधो कसमों के सागर में 

मैं नदी हूँ मुझे बह जाने दो 

बस करो अपने शिकवे शिकायतें 

मुझे भी कभी मुस्कराने दो 


नहीं होता बयां इश्क़ मुझ से 

इन लबों को ख़ामोश रहने दो 

दिलो से दिल मिलना मुमकिन नहीं 

हाथों में हाथ तो रहने दो 


क्यों करते हो हर बार ऐसे 

जमाने की सुनते हो जमाने की सुनाते हो 

क्यों ना इस बार कुछ यों कर ले 

तुम अपनी कहो मुझे अपनी सुनाने दो 


मेरे हाथों की लकीरों में गर तुम नहीं 

मेरे माथे की लकीरों को भी आजमा लो 

बड़ा मुश्किल होगा मेरी कब्र तक आना 

मुझे अपनी बाहों में ही सो जाने दो 


थक सा गया हूँ इस नाकाम सफर से 

मुझे अपनी जुल्फों में खो जाने दो 

चुभती है रौशनी मेरी प्यासी आँखों में 

खिड़कियाँ खोल दो चिराग़ों को बुझ जाने दो 


और कितनी करूँ मैं इबादत तुम ही कहो 

इन बुतों को अब तो ख़ुदा हो जाने दो 

मेरे गीत पसंद किसी को आते ही नहीं 

तुम तो कुछ मुझे गुनगुनाने दो 


तेरा इंतज़ार भी हो गया है इक बहाना 

इस भ्रम को अब टूट जाने दो 

मेरी कश्ती के मुहाफिज कब तक हो तुम 

छोड़ दो मुझे यह कश्ती अब डूब जाने दो 



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