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Vivek Netan

Romance

4  

Vivek Netan

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तलबगार कौन है

तलबगार कौन है

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290


गर तू नहीं तो मेरी जान का तलबगार कौन है

तेरे सिवा यादों की जागीर का हक़दार कौन है


जमाने से मुँह फेर चला आया था मैं तेरे पीछे

जब तेरे पास भी सवाल है तो फिर जवाब कौन है


लुटा के अपना सरमाया तेरे ही किराएदार हो गए

तुम मुझे मुहाजिर कहते हो तो जागीरदार कौन है


ना तेरी कुर्बत मिली ना ख़ुदा का दर नसीब हुआ

यह बदनसीबी नहीं तो कारवान-ए-सराब कौन है


कर्ब-ए-तिश्नगी ने नाओनोश बनाकर छोड़ दिया

अगर तू हुमा है तो इस जमाने में खराब कौन है


ज़ेर-ए-तर्बियत हूँ तरिक़-ए-ख़ानक़ाही नहीं आती

अहल-ए-जहाँ शागिर्द है तो यहां उस्ताद कौन है


तलबगार : जरूरतमंद

जागीर : संपत्ति, दौलत

सरमाया : जायदाद

मुहाजिर : जो घर बार छोड़ दूसरी जगह बस गया हो

कुर्बत : साथ

कारवान-ए-सराब : मीरीचिका का सफ़र

कर्ब-ए-तिश्नगी : प्यास की बेचैनी

नाओनोश : बहुत शराब पीना

हुमा : bird of happy omen, a fabulous bird

एक कल्पित पक्षी जिसकी छाया पड़ने से मनुष्य राजा हो जाता है

ज़ेर-ए-तर्बियत ;under training नौसिखिया

तरिक़-ए-ख़ानक़ाही : इबादत का तरीका

अहल-ए-जहाँ : संसार के लोग


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