परम मित्र
परम मित्र
तुम रूप में गोरी वर्ण हो
सुन्दर सुगंध हो
दीपाली का दीप हो
हास्य और विनोद हो
तुम मन मोहन और राम हो
तुम ही घनश्याम हो
तुम्हीं शशि और रवि हो
तुम्हीं अमृत राज हो
मेरे मन का खयाल हो
कविता के सूक्ष्म रूप में
मैनें तुम को उतार दिया
तुम मित्र हो भू भाग हो।