बे मौसम बरसात
बे मौसम बरसात
"बे मौसम बरसात"
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ये चारो और अँधेरा छाया हुआ है
इस ने किशIन की किस्मत को धोखा दिया है
बे मौसम के बारिश.की चादर
कान्ही ओला कहे तूफ़ान का कहर
हो गई किसी को राहत गर्मी से।
कुछ को बर्बाद कर दिया पानी से
क्या ज़रूरी है बे मौसम बरसात
कुछ रुक क बारिश जाती है
क्या बिगड जाती है बात
तू ने गरीव को क्यू और गरीवी को ढकेला ले
G S Pachauri "Shivay"
