छोटी मालकिन
छोटी मालकिन
तुझे तुझे इश्क कहूं या प्यार
एक अज्ञात सा ख्वाब है तू
चाहूं या ना चाहूं
रोज याद आती है तू
कैसी होगी सिर्फ कल्पना की है
पर इतना विश्वास है
जैसी सोची वैसी होगी तू
एहसास और आत्मा का बोध है
जरूर हमारा कोई तुमसे अज्ञात संबंध है
गुस्से नखरों की है मलिका
छोटी मालकिन तेरा हक है पक्का

