वो पल
वो पल
वो पल बड़े हसीन थे
जब वो सामने खड़े थे
वो कुछ कहना चाहते
हम कुछ सुनना चाहते
मगर लफ़्ज़ मौन थे।
उनकी निगाहें कभी उठती
तो कभी पलकें खुद झुकती
इशारों को हम कैसे समझते
जब निगाहें उनकी शरमाती।।
अजीब सी कशमकश थी
दिल की धड़कन बेकाबू थी
कहते भी तो क्या कहते उनसे
वो खुद में ही जब उलझे थे।
पास बैठे वो मुस्कराए
हम उसे भी ना समझ पाए
वो उधर इंतजार में थे कुछ कहे
हम इधर लफ्ज सुनने को आतुर थे।
वो हमको समझा ना सके
हम उन्हें समझ ना सके।