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हरीश कंडवाल "मनखी "

Classics

4.5  

हरीश कंडवाल "मनखी "

Classics

वीर बाल दिवस

वीर बाल दिवस

2 mins
243


दस गुरुवों में गुरु गोविन्द सिंह थे वीर संत

धर्म रक्षा के खातिर बनाया खालसा पंथ

दार्शनिक थे, ज्ञानी संग बड़े कुशल योद्धा

बर्बर मुग़ल बादशाह संग लड़े कई युद्ध।


चमकौर की लड़ाई में सिख सेना में था उत्साह

मुगलो की सेना, हों गई उनके आगे परास्त

वजीर खान के नेतृत्व में आनंद साहिब को घेरा

भोजन पानी के अभाव में, बिखर गई सिख सेना।


गुरु गोविन्द सिंह को दुर्ग छोड़ने का दिया सन्धि प्रस्ताव

परिवार सहित उनको सुरक्षित निकलने का दिया सुझाव

आठ माह तक मुग़ल सेना ने आंनदपुर साहिब में घेरा डाला

चार बेटों और बूढ़ी माता संग किला दुर्ग छोड़ने की बनी योजना।


मुगल सेना ने पाक कुरान की खाई कसम को धत्ता बताई

सरसा नदी के तट पर खालसा सेना संग हुई घमासान लड़ाई

माह पौष का,पड़ी थी सर्दी, बीच युद्ध लगी बारिश की झड़ी 

अजीत सिँह, जुझार सिंह को संग लिए पहुंचे चमकौर गढ़ी।


गुरु गोविन्द सिंह का बिछड़ गया उनका अपना परिवार

जोरावर सिंह, फतेह सिंह को मिला दादी गुजरी का प्यार

गुरु के रसौइये के गाँव जाकर तीनो ने ली उनके यँहा शरण 

दोनों बच्चों को दुश्मन सौंपकर विश्वासघात का किया वरण।


क्रूर वजीर खान ने दोनों नादान बच्चों को किया गिरप्तार

जीवन रक्षा चाहिए तो कर ले दोनों इस्लाम को स्वीकार

दोनों वीर बालको ने इस्लाम कबूल करने से किया इंकार

दादा गुरु तेग बहादुर का उनको को याद दिलाया बलिदान।


गुरु गोविन्द सिंह के हैं हम सपूत, अपना धर्म नहीं छोड़ेगे

जब तक जान हैं शरीर में तब तक धर्म के खातिर लड़ेंगे

क्रूर वजीर खान को दोनों बालको पर बहुत क्रोध आया

जिन्दा दोनों को दीवार में चिनवाने का आदेश करवाया।


दोनों वीर बालक थे वे बड़े निर्भीक और बलवान

धर्म और देश के खातिर, दे दिया उन्होंने बलिदान

जिन्दा दोनों को दीवार पर निष्ठुरो ने चिनवा दिया

दो अबोध बालकों ने धर्म के खातिर प्राण त्याग दिया।


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