बल्कि मौत से भी घातक अंधकूप में लीन होते जा रहे हैं। बल्कि मौत से भी घातक अंधकूप में लीन होते जा रहे हैं।
लड़खड़ाई हूँ, गिरी नहीं, डरी थी मगर रुकी नहीं। लड़खड़ाई हूँ, गिरी नहीं, डरी थी मगर रुकी नहीं।
बिन पति बटुए के भी चल लूंगी जब पति चले मेरे संग संग में। बिन पति बटुए के भी चल लूंगी जब पति चले मेरे संग संग में।
प्रिय!कहीं तुम्हे ना पाती हूँ क्यूँ कल्पना करती बार-बार तुम संग आशीर्वाद पाने को अपनी लकीरे मिलती... प्रिय!कहीं तुम्हे ना पाती हूँ क्यूँ कल्पना करती बार-बार तुम संग आशीर्वाद पाने ...
पदक को जीतने का चाप कंधे पर बढ़ा इतना कि मंजिल पूर्व पथराया खिलाड़ी दाब के आगे पदक को जीतने का चाप कंधे पर बढ़ा इतना कि मंजिल पूर्व पथराया खिलाड़ी दाब के आगे
परिलक्षित होती तब मृगमरीचिका, जिसकी स्पृहा में निर्निमेष कुछ खोजता लालायित मन। परिलक्षित होती तब मृगमरीचिका, जिसकी स्पृहा में निर्निमेष कुछ खोजता ...