प्यार पति का
प्यार पति का
लाख पड़े हो हीरे मोती
जेवर चांदी सोने के
खुशी तो होती है पति के
बटुए में हक होने से
हक मुझ पर उनका हक
उनका मुझ पर होता है
बटुआ तो इक सहस खिलौना
दोनों में प्यार पिरोता है।
आज की नारी हूं सहर्ष
मैं खुद के दम पर निर्भर हूं
हुई स्वाबलंबी कबकी
पर पति प्यार की आतुर हूं
खुद के दम पर जीना मरना
है आसान जीवन जंग में
बिन पति बटुए के भी चल लूंगी
जब पति चले मेरे संग संग में।